Thursday 27 December 2018

Trip to Chakrata and Budher Forest

चकराता  और बुधेर फारेस्ट हाउस की यात्रा
घूमने-फिरने की जब भी बात आती है तो हर किसी के मन में पहला ख्याल पहाड़ों की तरफ ही जाता है। मेरा भी इस वर्ष सितम्बर में चकराता जाने का प्रोग्राम अचानक बना । इससे पहले भी एक- दो बार प्रोग्राम बना था लेकिन सिरे नहीं चढ़ पाया । असल में चकराता हमारे अम्बाला से ज्यादा दूर नहीं, मात्र 180 किलोमीटर दूर है ,तो यही सोचते थे अरे ये तो पास ही है कभी भी चले जायेंगे ।लेकिन इस कभी भी के चक्कर में काफी समय निकल गया। इस बार 21 सितम्बर को मुहर्रम की छुट्टी थी और 23 को रविवार की ।22 की छुट्टी लेकर तीन दिन का बढ़िया प्रोग्राम बना लिया । प्रोगाम के अनुसार हमें चकराता, उन्दावा वन , मोइला टॉप और टाइगर फॉल देखना था । चूँकि हम दो ही लोग थे –मैं और मेरा मित्र सुखविंदर –तो गाड़ी से चलने की बजे बाइक पर ही चलने का निश्चय किया । हमारी एक साथ यह चौथी बाइक यात्रा थी ।सबसे पहले 2015 में चोपता –तुंगनाथ और देवरिया ताल गए थे , फिर 2016 में बाइक पर हिमाचल में पराशर लेक और बिजली महादेव की यात्रा की। 2017 में कोटद्वार , लैंसडौन , द्वारीखाल और बर्सुड़ी की यात्रा की थी। 

Wednesday 5 December 2018

Gujrat Yatra : Ahmedabad and Gandhinagar sight seeing

                              गुजरात यात्रा : अहमदाबाद -गांधीनगर 
पिछली पोस्ट : सोमनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर  

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन के उपरांत रात को वेरावल से चलकर अगले दिन सुबह अहमदाबाद पहुँच गये । प्लेटफॉर्म पर बने विश्रामालय के स्नानघर में pay एंड use सुविधा का उपयोग कर, नहा-धोकर तैयार हो गए और फिर नाश्ते से निपट के अहमदाबाद घूमने के लिए तैयार हो गए । एक छोटा पिट्ठू बैग छोड़  बाकि सारा सामान स्टेशन पर ही क्लॉक रूम में जमा करवा दिया और स्टेशन से बाहर आ गए । स्टेशन से बाहर निकलते ही टैक्सी चालकों और ऑटो रिक्शा वालों ने घेर लिया । सभी अहमदाबाद/गाँधी नगर घूमाने के पैकेज बेच रहे थे ।

साबरमती रिवर फ्रंट

Wednesday 24 October 2018

Gujrat Yatra : Somnath Jyotirling Temple

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर  ( Somnath Jyotirling Temple )

पिछली पोस्ट में आप पढ़ चुके हैं कि नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के बाद हम गोपी तालाब और भेट द्वारका गए ।वहाँ से दोपहर तक वापिस द्वारका लौट आये और शाम को द्वारका के स्थानीय मंदिरों में दर्शन किये और फिर रात की ट्रेन से सोमनाथ के लिए रवाना हो गए। अब उससे आगे ....

द्वारका से सोमनाथ के लिए एक ही ट्रेन है जो द्वारका से रात 8:30 चल कर अगले दिन सुबह 5:00 बजे सोमनाथ पहुँच जाती है । सोमनाथ इस रूट पर आखिरी रेलवे स्टेशन है । हमारी ट्रेन समय से पहले ही सोमनाथ पहुँच गयी थी । बाहर अभी दिन का उजाला नहीं हुआ था, थोडा अँधेरा ही था । वैसे भी भारत के धुर पश्चिमी किनारे पर होने के कारण यहाँ सूर्योदय लेट ही होता है । सोमनाथ स्टेशन के पूरे प्लेटफ़ॉर्म पर मछली से भरे हुए बड़े बड़े डिब्बे पड़े हुए थे । जिसके कारण रेलवे स्टेशन पर मछली की जबरदस्त दुर्गंध थी। हम जल्दी से स्टेशन से बाहर निकले और हमें कई गेस्ट हाउस वालों ने ‘कमरा चाहिए –कमरा चाहिए ‘ कहते हुए घेर लिया। बड़ी मुश्किल से उनसे पीछा छुड़ाया । एक पंडित जी भी अपनी बाइक पर घूमते हुए अपना कमरा देने के लिए ग्राहक खोज रहे थे, अब वो चिपक गए । बोले कमरा देख लो ,पसंद आये तो लेना , नहीं तो मत लेना । हमने एक रिक्सा किया और उस पंडित के पीछे पीछे उसके घर पहुँच गए । उसने अपने घर के ही दो कमरे यात्रियों के लिए छोड़े हुए थे । कमरा ठीक ठाक था । ज्यादा अच्छा भी नहीं और बुरा भी नहीं । कमरा मंदिर के काफी नजदीक था और हमें शाम तक ही चाहिए था इसलिए हमने वही पसंद कर लिया। किराया भी शायद 400 रूपये था ।

सोमनाथ मंदिर

Tuesday 16 October 2018

Mata Baglamukhi Temple

माता बगलामुखी (Mata Baglamukhi Temple)
माता चामुण्डा देवी के मंदिर में दर्शन के बाद हम लोग बैजनाथ चले गए । मंदिर में दर्शनों के बाद रात्रि विश्राम वहीँ एक होटल में किया । सुबह उठकर दोबारा मंदिर में दर्शन के लिए चले गए और फिर वहां से दोबारा चामुंडा होते हुए सीधा धर्मशाला और फिर मैकडोनल्ड गंज पहुँच गए । वहाँ पर प्रसिद्ध बौद्ध मंदिर गए। बाबा बैजनाथ और मैकडोनल्ड गंज पर बाद में लिखूंगा , अभी नवरात्रे में आपको माता के अलग अलग सिद्ध स्थानों पर लेकर चलूँगा । 

धर्मशाला से वापसी में सीधा माता चिंतपूर्णी वाली सड़क पर चल दिए । ज्वाला जी मंदिर से कुछ किलोमीटर पहले रानीताल के पास से एक तिराहा है । इस तिराहे से एक सड़क दायीं और जा रही है जो सीधा माता चिंतपूर्णी को चली जाती है, इस जगह से कुछ किलोमीटर आगे मुख्य सड़क पर ही माँ बगलामुखी का बड़ा प्रसिद्ध मंदिर है। पहाड़ी इलाका होने के कारण मंदिर सड़क से नीचे है । सड़क पर मुख्य द्वार है यहाँ से नीचे सीडियां उतर कर ही मंदिर में जाया जाता है ।
 

Wednesday 10 October 2018

Gujrat Yatra : Nageshwar Jyotirlinga Temple

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर  ( Nageshwar Jyotirling Temple )

पिछली पोस्ट में आपने पढ़ा कि रुक्मिणी देवी मंदिरगोपी तालाब और बेट-द्वारका के दर्शन के साथ हमने नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन भी किये थे । रुक्मिणी देवी मंदिर के बाद बस का दूसरा पड़ाव नागेश्वर ज्योतिर्लिंग ही था । पिछली पोस्ट में ही इसके बारे लिखता तो पोस्ट बहुत लम्बी हो जाती इसलिए इसे अलग से इस पोस्ट में लिख रहा हूँ ।

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग परिसर में विशाल शिव मूर्ति

Friday 5 October 2018

Gujrat Yatra : Temples in and around Dwarka

रुक्मिणी देवी मंदिर, गोपी तालाब और बेट-द्वारका ( Rukmini Devi Temple, Gopi Talab and Bet Dwarka )


अगले दिन सुबह जल्दी से तैयार होकर , आठ बजे से पहले ही हम भद्रकाली चौक पहुँच गए । बस में कुछ सवारियाँ पहले ही आ चुकी थी । कुछ ही देर में जब सभी लोग आ गए तो बस चल पड़ी । आज ये हमें रुक्मणि मंदिर , नागेश्वर ज्योतिर्लिंग, गोपी तालाब तथा बेट द्वारका लेकर जाने वाली थी । शहर से थोड़ा बाहर निकलते ही पहला पड़ाव आ गया । बस का परिचालक - गाइड और निर्देशक दोनों का काम कर रहा था । उसने बताया कि हम रुक्मणी देवी मंदिर पहुँच चुके हैं । उसने हमें मंदिर में जल्दी से जाकर दर्शन करने और आधे घंटे में बस पर वापिस आने को कहा और फिर बस से नीचे उतर कर, सभी सवारियों के साथ गाइड के रूप में मंदिर की तरफ चल दिया । हमारी बस के साथ ही दो तीन बसें और वहाँ पहुँच जाने से मंदिर में एकदम से भीड़ बढ़ गयी थी फिर भी लगभग आधे घंटे में दर्शन के बाद हम लोग वापिस बस में आ गए ।

रुक्मिणी देवी मंदिर 

Friday 28 September 2018

Gujrat Yatra : Dwarkadhish Temple - Dwarka

गुजरात यात्रा – द्वारिकाधीश मंदिर, द्वारका

मेघश्यामं पीतकौशेयवासं श्रीवत्साङ्कं कौस्तुभोद्भासिताङ्गम् ।
पुण्योपेतं पुण्डरीकायताक्षं विष्णुं वन्दे सर्वलोकैकनाथम् ॥
मेघ समान रंग वाले, पीले रेशमी पीताम्बर धारण किए, श्रीवत्स के चिह्नवाले, कौस्तुभमणि से सुशोभित अंग वाले, पुण्य करने वाले, कमल समान लंबी आंख वाले सर्वलोक के एकमात्र स्वामी भगवान श्रीद्वारकाधीश भगवान श्रीकृष्ण को मैं नमस्कार करता हूँ ।

Dwarkadhish Temple

Saturday 15 September 2018

Gangotri Yatra : Gangotri Dham and Vishwanath Temple Uttarkashi

                    यमुनोत्री – गंगोत्री यात्रा ( Gangotri Temple )

गंगोत्री यात्रा -2 :
पिछली पोस्ट में आपने पढ़ा कि सुबह 6 बजे उत्तरकाशी से बस पकड़ गंगोरी, भटवारी, गंगनानी और फिर हर्षिल ,लंका और भैरों घाटी होते हुए लगभग 6 घंटे की यात्रा के बाद मैं 12 बजे गंगोत्री पहुँच गया । अब उससे आगे ..

गंगोत्री पहुँचते ही बस के परिचालक ने घोषणा कर दी कि यही बस दोपहर 2:00 बजे यहाँ से उत्तरकाशी वापिस जाएगी जिसको वापिस जाना हो 2:00 बजे तक बस में सवार हो जाये । मंदिर में दर्शन और पूजा पाठ के लिए दो घंटे कम नहीं थे । बस पार्किंग से गंगोत्री का मंदिर लगभग 300 मीटर दूर है,10-12 फीट चौड़ा रास्ता है और रास्ते के दोनों तरफ एक छोटा सा बाजार है जहाँ खाने पीने की दुकाने और पूजा सामग्री का सामान मिलता है।

Gangotri Temple

Tuesday 11 September 2018

Gangotri Yatra - Part 1 : Uttarkashi to Gangtori

यमुनोत्री – गंगोत्री यात्रा ( Gangotri Yatra )


गंगोत्री यात्रा -1

पिछली पोस्ट में आपने पढ़ा कि सुबह 6 बजे जानकी चट्टी से निकल कर ट्रेक करते हुए 9 बजे यमुनोत्री पहुँच गए। मंदिर में दर्शन के बाद जानकी चट्टी वापसी की ,वहाँ से जीप द्वारा बडकोट वापिस आये और फ़िर शाम चार बजे बडकोट से उत्तरकाशी की बस पकड ली। अब उससे आगे …..

बडकोट से उत्तरकाशी का रास्ता बेहद खूबसूरत है । कोटद्वार वाले रास्ते की याद आ गयी । सड़क के दोनों तरफ चीड़ का घना जंगल है । जब सड़क के किनारे लम्बे- लम्बे चीड़ के पेड़ खड़े हों तो ये एक सुन्दर मनभावन दृश्य तो उत्पन्न करते ही हैं , खाई और सड़क के बीच में एक दीवार का काम करते हुए मन में एक सुरक्षा का भाव भी कराते हैं। रास्ते में कई छोटे -2 गाँव पड़ते हैं , शाम का समय था , नौकरी पेशा लोग छुट्टी के बाद बस का इंतजार करते हुए खड़े मिलते । बस सभी जगह रूकती , कुछ सवारी चढ़ती , कुछ उतरती बस फिर आगे अपनी मंजिल की और चल पड़ती । सफ़र बढ़िया कट रहा था लेकिन धरासू पहुंचकर मेरे साथ एक मजेदार-यादगार किस्सा घटित हुआ ।

हर्षिल और भगीरथी

Wednesday 5 September 2018

Yamunotri Yatra : Janki chatti to Yamunotri


यमुनोत्री – गंगोत्री यात्रा (Yamunotri Temple)

यमुनोत्री यात्रा पार्ट 2 : बड़कोट यमुनोत्री बड़कोट

पिछली पोस्ट में आपने पढ़ा किस तरह सुबह 6 बजे घर से निकल कर , बस के लिए भाग दौड़ और फिर सीट के लिए नोक-झोंक के बाद आखिरकार शाम 6 बजे बड़कोट पहुँच गया। बड़कोट ,दिल्ली यमुनोत्री हाईवे पर एक छोटा नगर है । मुख्य बाज़ार इसी सड़क के दोनों तरफ बना है । इसी सड़क पर एक जगह बस स्टॉप है, कोई अलग से बस स्टैंड नहीं है। मैं बस से उतर कर सीधा आगे की तरफ चला गया और टैक्सी स्टैंड पर पहुँच गया । वहाँ चार पाँच जीप खड़ी थी । मालूम हुआ कि जानकी चट्टी के लिए शेयर्ड जीप यहीं से जाएगी । यमुनोत्री जाने के लिए सड़क मार्ग जानकी-चट्टी तक ही है । उससे आगे लगभग 6 किलोमीटर का ट्रेक है ।

यमुनोत्री मंदिर 

Wednesday 29 August 2018

Yamunotri Yatra -1

यमुनोत्री – गंगोत्री यात्रा ( Yamunotri - Gangotri Yatra )

पार्ट 1 : अम्बाला से बड़कोट

2011 में जब बद्रीनाथ धाम और केदारनाथ यात्रा का प्रोग्राम बना था तब यमुनोत्री और गंगोत्री जाने का विचार भी था लेकिन यात्रा से कुछ दिन पहले भारी बारिश होने के कारण गंगोत्री जाने का मार्ग बंद हो गया था। जब इन जगहों पर गाड़ी वाले ने जाने से मना कर दिया तो हमने इन दोनों जगह को छोड़ अपने प्रोग्राम में हेमकुण्ड साहेब जोड़ लिया था । तीन साल बीत गए लेकिन इन जगह पर जाना हो ही नही पाया । 2015 में यहाँ जाने का फ़िर से प्रोग्राम बनाया और कुछ दोस्त भी साथ जाने के लिए तैयार हो गए । जैसे जैसे जाने का समय नज़दीक आता गया , एक-2 कर सभी ने मना कर दिया । मुझे इसका कुछ आभास पहले से ही था इस लिए मैंने अपना प्लान-बी भी तैयार रखा हुआ था । मैं गंगोत्री और यमुनोत्री जाने में और देर नही करना चाहता था इसलिये अकेले ही जाने का निश्चय कर लिया और यात्रा के लिए जरुरी जानकारी लेनी शुरू कर दी ।

in between Nainbag to Barkot

Monday 13 August 2018

Grishneshwar Jyotirlinga Temple, Aurangabad

 घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर

त्र्यंबकेश्वर मंदिर में दर्शन के बाद हम लोग बस से शिर्डी चले गए । रात वहाँ रुके , मंदिर में साईं बाबा की समाधी देखी और अगले दिन सुबह शनि सिग्नापुर चले गये और वहाँ से घूमते घुमाते शाम तक औरंगाबाद शहर पहुँच गए । यहाँ हमारा बारह ज्योतिर्लिंगों में यह अंतिम ज्योतिर्लिंग घृष्णेश्वर के दर्शन करने का प्रोग्राम था। अगले दिन सुबह जल्दी से तैयार होकर औरंगाबाद बस स्टैंड पहुँच गए और वहाँ से घृष्‍णेश्‍वर ज्योतिर्लिंग जाने के लिए बस ले ली और लगभग एक घंटे की यात्रा के बाद वहाँ पहुँच गए ।

Grishneshwar Jyotirling Temple

Monday 6 August 2018

Trimbakeshwar Jyotirling

       त्र्यंबकेश्वर मंदिर -  Trimbakeshwar Temple

अगले दिन सुबह हम जल्दी से उठ कर तैयार हो गए और होटल से चेक आउट करने के बाद सामने ही स्तिथ बस स्टैंड चले गए यहाँ (संगमनेर) से नासिक लगभग 70 किलोमीटर दूर है और इस समय वहाँ जाने के लिए कोई बस उपलब्ध नहीं थी बस का इंतजार करते हुए हम चाय और बिस्कुट का हल्का नाश्ता कर चुके थे थोड़ी देर बाद ही मुंबई से नासिक जाने वाली बस आ गयी और हम उस पर सवार हो गए नासिक पहुँचने में दो घंटे से अधिक का समय लग गया और हम लगभग साढ़े नौ बजे नासिक पहुँच गए

Monday 30 July 2018

Bhimashankar Jyotirlinga

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग (Bhimashankar Jyotirling Temple) 

आज से लगभग 4 साल पहले महाराष्ट्रा की घुम्म्कड़ी के दौरान मुंबई ,शिर्डी ,शनि सिंग्नापुर ,एल्लोरा केव्स ,औरंगाबाद फोर्ट ,बीबी का मकबरा आदि स्थानों के साथ तीन ज्योतिर्लिंग के दर्शन का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ था । वैसे तो ये पूरी सीरीज काफी पहले इंग्लिश में लिख चूका हूँ लेकिन इन तीनो ज्योतिर्लिंग की यात्रा को हिंदी में भी लिखना चाहता हूँ। इस सीरीज में आपको सबसे पहले भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की यात्रा पर लेकर चलते हैं ।

Saturday 21 July 2018

Padmanabhaswamy Temple

पद्मनाभस्वामी मंदिर  ( Padmanabhaswamy Temple )


पिछली पोस्ट में आपने पढ़ा कि कोवलम बीच पर लगभग दो घंटे बिताने के बाद हमने यहाँ से पद्मनाभस्वामी मंदिर जाने के लिए 150 रूपये में  एक ऑटो लिया और 15 -20 मिनट में हम पद्मनाभस्वामी मंदिर पहुँच गए । सुबह का समय होने के कारण अभी यहाँ ज्यादा भीड़ नहीं थी लेकिन अभी पूजा /आरती का समय होने के कारण अभी दर्शन बंद थे । मंदिर बाहर से देखने पर कुछ खास भव्य प्रतीत नहीं हो रहा था । मंदिर का प्रवेश द्वार (गोपुरम ) कुछ ऊँचाई पर है और दरवाजा बंद होने के कारन अभी अन्दर का कुछ भी दृश्य नहीं दिख रहा था । मंदिर में प्रवेश के लिए पुरुषों को धोती तथा स्त्रियों को साड़ी पहनना अनिवार्य है। मंदिर से पहले ही धोती बेचने की कुछ दुकाने भी हैं । मंदिर में फ़ोन, कैमरा,बैग आदि कुछ भी सामान ले जाना मना है। मंदिर कमेटी द्वारा संचालित क्लॉक रूम में आप अपना सामान जमा करवा सकते हो ।


Thursday 12 July 2018

Kovalam Beach - Trivandrum

कोवलम बीच- त्रिवेंद्रम (तिरूअनंतपुरम), (Kovalam Beach, Trivandrum)

पिछली पोस्ट में आपने पढ़ा कि हम लोग कन्याकुमारी और सुचिन्द्रम मंदिर घुमने के बाद वापिस नागरकोइल स्टेशन आ गए और वहाँ से दोपहर की लोकल ट्रेन से त्रिवेंद्रम- जिसे आजकल तिरूअनंतपुरम कहा जाता है -के लिए निकल गए। त्रिवेंद्रम कन्याकुमारी से लगभग 100 किमी दूर है और लगभग तीन घन्टे  की ट्रेन यात्रा के बाद हम त्रिवेंद्रम पहुँच गए ।


Thursday 28 June 2018

Kanyakumari and Suchindrum Temple

कन्याकुमारी और सुचिन्द्रम मंदिर :
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अगले दिन सुबह साढ़े 4 बजे ट्रैन नागरकोइल स्टेशन पहुँच गयी। यह स्टेशन कन्याकुमारी से 20 किमी पहले एक जंक्शन है। अधिक्तर गाड़िया यहीं से होकर गुजरती हैं और  कन्याकुमारी तक तो कुछ ही गाड़ियाँ जाती हैं । ट्रैन से उतर कर हम प्लेटफार्म एक पर बने रिटायरिंग रूम चले गए जहां शौचालय और स्नानघर की सुविधा थी । इस सुविधा का हमने भी लाभ उठाया और नहा धोकर तैयार हो गए । हल्का फुल्का नाश्ता करने के बाद हमने अपना सामान स्टेशन पर ही बने क्लॉक रूम में जमा करवा दिया और एक छोटा पिठ्ठू बैग लेकर स्टेशन से बाहर आ गए । नागरकोइल स्टेशन ,कन्याकुमारी जाने वाले मुख्य राजमार्ग से लगभग आधा किलोमीटर अन्दर  है । स्टेशन के बाहर हमने एक ऑटो वाले से कन्याकुमारी जाने के लिए पूछा , उसने बताया कि वो हमें मुख्य मार्ग पर छोड़ देगा जहाँ से हमें कन्याकुमारी के लिए आराम से बस मिल जाएगी  ऑटो से कन्याकुमारी जाना काफी महंगा पड़ेगा । हमने उसकी बात मान ली और उसने हमें 30/40रुपये में मुख्य मार्ग पे बने बस स्टॉप पर छोड़ दिया । कुछ ही मिनट के अंतराल के बाद हमे कन्याकुमारी के लिए बस मिल गयी।

Thursday 7 June 2018

Meenakshi Temple , Madurai


मीनाक्षी मंदिर ,मदुरै – Meenakshi Temple ,Madurai

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रामेश्वरम में दर्शन करने के बाद हम लोग वापिस रामेश्वरम रेलवे स्टेशन आ गए और वहाँ से मदुरै जाने वाली ट्रेन पकड़ ली । मदुरै यहाँ से 160 किमी दूर है और लगभग चार  घण्टे में हम मदुरै पहुँच गए । मदुरै रेलवे स्टेशन पहुंच कर हमने अपना सामान क्लॉक रूम जमा करवा दिया और एक छोटा सा बैग लेकर मंदिर की तरफ चल दिए । मंदिर रेलवे स्टेशन से ज्यादा दूर नहीं है मुश्किल से 1 किलोमीटर दूर होगा । रेलवे स्टेशन से बाहर निकल कर थोड़ा दायीं तरफ़ चलना है और पहले चौराहे से बायीं तरफ मुड़ कर बिलकुल सीधा जाना है । रेलवे स्टेशन से लेकर मंदिर तक का रास्ता व्यस्त मार्किट से होकर है, इस रास्ते से जाने पर आपको मंदिर का पश्चिमी गोपुरम  दिखाई देता है ।

Thursday 31 May 2018

Sri-Ramanathaswamy-Temple - Rameshwaram Jyotirling

रामेश्वरम यात्रा - ज्योतिर्लिंग दर्शन ( Rameshwaram Jyotirling )

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यात्रा तिथि : 31 दिसम्बर 2017  
अगले दिन सुबह ट्रेन अपने निर्धारित समय पर रामेश्वरम स्टेशन पहुँच गयी । थोड़ी देर पहले जब ट्रेन समुंदर पर बने पम्बन ब्रिज को पार कर रही थी ,तब पुल से गुजरने के कारण होने वाली भारी आवाज से मेरी आँख खुल गयी थी और मैं समझ गया था कि ट्रेन अब समुंदर पार कर जल्दी ही रामेश्वरम पहुँचने वाली है । उस समय काफी अँधेरा था और ट्रेन भी काफी धीमी गति से चल रही थी। रात के समय ट्रेन के डिब्बों से सागर के पानी पर पड़ रही रोशनी बड़ा ही सुदर दृश्य उत्पन्न कर रही थी ,यूँ लग रहा था जैसी किसी ने सागर के गले चमचमाती हुई माला डाल दी हो।

मंदिर गलियारा 

Thursday 24 May 2018

Sri Kanchi Kamakshi Amman Temple


कांची कामाक्षी अम्मान मंदिर - Sri Kanchi Kamakshi Amman Temple


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एकम्बरनाथर मंदिर में दर्शन के बाद हम एक ऑटो रिक्शा से कामाक्षी अम्मान मंदिर पहुँच गए। मंदिर अब तक खुल चूका था और दर्शन के लिए काफी लोग भी जमा हो चुके थे । हम भी जल्दी से दर्शनों के लिए कामाक्षी अम्मान मंदिर में प्रवेश कर गए । मंदिर बाहर से भी सुन्दर दिखता है और अन्दर से बहुत भव्य बना हुआ है । इसकी भव्यता और साफ़ सफ़ाई से मालूम हो रहा था कि यह कांचीपुरम का एक समृद्ध मंदिर है। मंदिर के अन्दर दर्शनों के लिए लाइन लगी हुई थी और बिना समय गवाएँ हम भी लाइन में लग गए और थोड़ी देर बाद दर्शन के बाद मंदिर से वापिस बाहर आ गए। अब तक शाम के साढ़े चार बज चुके थे। आज ही हमें कांचीपुरम से 40 किलोमीटर दूर चिन्गालपट्टू रेलवे स्टेशन से शाम 6:50 पर रामेश्वरम के लिए ट्रेन पकड़नी थी इसलिए बिना समय गवाएँ हम ऑटो से बस स्टैंड चले गए। वहाँ पहुंचकर रेस्टोरेंट से अपना सामान लिया और चिन्गालपट्टू जाने के लिए बस पकड़ ली ।

कामाक्षी अम्मान मंदिर

Thursday 17 May 2018

Lord Ekambaranathar Temple ( Ekambareeswarar Temple ), Kanchipuram

                    एकम्बरनाथर मंदिर ( एकाम्बरेश्वर मंदिर )

वरदराज पेरुमाल मंदिर में दर्शन के बाद हम एक ऑटो रिक्शा से कामाक्षी अम्मान मंदिर पहुँच गए , लेकिन अभी मंदिर खुलने का समय नहीं हुआ था इसलिए मंदिर के प्रवेश द्वार अभी बंद ही थे । मालूम हुआ कि शाम को चार बजे ही मंदिर के द्वार खुलेंगे, उससे पहले किसी को भी प्रवेश की अनुमति नहीं है। अब आधा घंटा यहाँ रूककर कर इंतजार करने से बेहतर था कि हम एकम्बरनाथ मंदिर चलें जाएँ और वापसी में यहाँ दर्शन करें । कामाक्षी अम्मान मंदिर से एकम्बरनाथर मंदिर की दुरी मुश्किल से एक किलोमीटर है । आप चाहे तो यहाँ से पैदल भी जा सकते हैं । रास्ते में ही श्रीकाची कामकोटी मठ भी है।

मंदिर का पनोरोमिक व्यू

Thursday 10 May 2018

Kanchipuram-The Holy City

कांचीपुरम वरदराज पेरुमाल मंदिर  ( Varadharaja Perumal Temple)

पिछली पोस्ट में आपने पढ़ा की तिरुपति बाला जी के दर्शन के बाद वापिस तिरुपति आकर हम लोग देवी पद्मावती मंदिर में दर्शन करने चले गए । दर्शनों के बाद रात्रि 9 बजे के करीब हम अपने कमरे पर वापिस पहुँच गए । अब आगे  !!!

अगले दिन सुबह जल्दी से तैयार होकर लगभग 8:15 बजे तक तिरुपति के बस स्टैंड पर पहुँच गए। यहाँ से आज हमें कांचीपुरम जाना था जहाँ दिन भर मंदिर देखने के बाद शाम को कांचीपुरम से 40 किलोमीटर दूर चिंगालपट्टू रेलवे स्टेशन से हमें चेन्नई से आने वाली रामेश्वरम की ट्रेन पकड़नी थी। वैसे ट्रेन में मेरी बुकिंग चेन्नई से ही थी लेकिन चेन्नई जाकर वहाँ की बीच पर घूमने के बजाए मैंने भारत की सप्त पुरियों में से एक सांस्कृतिक नगर कांचीपुरम जाना ज्यादा बेहतर समझा। तिरुपति से  कांचीपुरम लगभग 110 किमी दूर है और हर 15 मिनट में बस उपलब्ध है । हमें भी जल्दी ही कांचीपुरम की बस मिल गयी और हम अपनी मंजिल की ओर रवाना हो गए ।